लेखनी प्रतियोगिता -05-Aug-2023 फर्ज एक माँ का
फर्ज एक माँ का
रोहन आज शहर से गाँव अपनी माँ से मिलने आया था। उसके साथ रन्जना भी आई थी। उसकी रन्जना के विषय में कुछ पूछती उससे पहले ही रोहन रन्जना का परिचय करवाता हुआ बोला," माँ यह रन्जना है। "
रंजना ने माँ के पैर छुए और उसका आशीर्वाद लिया। रागिनी को ये सब कुछ अजीब लगा और उसने सवालों से भरे मन से रोहन को देखा।
रोहन ने माँ की उलझन दूर करते हुए कहा कि ," 'माँ मैंने रंजना से शादी करने का फैसला किया है।"
रागिनी का मन गुस्से से भर गया। इसलिए नहीं कि उसको रंजना पसंद नहीं आयी बल्कि इसलिए कि उसका बेटा आज इतना बड़ा हो गया कि अपने जीवन के फैसले खुद लेने लगा। रागिनी चुप रही और अंदर चली गई।
रंजना वहाँ जब तक रही रागिनी का मुँह फूला ही रहा। जब रंजना वहाँ से चली गई तब रागिनी ने रोहन को बुलाया और पूछा," तुम ऎसा कैसे कर सकते हो ?" ' रागिनी का पारा सातवें आसमान पर था।
'क्यों माँ! ? मैने क्या गलत किया है ?"' रोहन ने संयत स्वर में पूछा।
रागिनी का सारा गुस्सा फूट गया और उसने एक साँस में बोला ," तुम आज इतने बड़े हो गए हो कि अपनी जिंदगी के फैसले खुद लेने लगे हो और यहां तक कि तुमने ये निर्णय लेने से पहले किसी की राय लेना भी जरूरी नहीं समझा। कम से कम एक बार मुझसे पूछ तो सकते थे न! माँ हूँ मैं तुम्हारी।"
अरे हाँ मैं तो भूल ही गया था न, कि आप मेरी माँ हैं लेकिन क्या आपको याद है कि आपका भी एक बेटा है.? माँ मैं और क्या करता , मुझे ऎसी जिंदगी भी तो आपने ही दी है। " यह कहते हुए रोहन का तो जैसे सब्र का बांध टूट गया हो। उसके अंदर वर्षो से धधकती आग को जैसे रागिनी की बातों ने हवा दे दी हो और वही आग आज रागिनी के गुरूर को जला कर राख कर देने वाली थी।
" माँ याद करो! मेरे बचपन के वो दिन जब मैं आपके प्यार, स्नेह, लाड से भरी गोद, आपके आँचल की सुकून से भरी छाँव के लिए तरसता था माँ, तब वो कठोर पालना ही मेरे हिस्से आता था। आप तो हमेशा अपने जॉब, मीटिंगस्, किटी पार्टी और अन्य कामों में ही व्यस्त रहती थी। पापा भी मेरे सोने के बाद घर आते और मेरे उठने से पहले चले जाते। जब भी मुझे नींद आ रही होती तब तुम मोबाइल मे विडियो चला दिया करती थी ताकि तुम्हें लोरी न सुनानी पड़े और मैं थक कर सो जाया करता था। जब थोड़ा बड़ा हुआ तो स्कूल का होम वर्क कराने वाला कौन था माँ?"
रागिनी ने सफाई देते हुए कहा," 'तब मेरे पास समय नहीं होता था और ट्यूशन लगवा दी थी न तुम्हें, ताकि कोई परेशानी न हो? बिना पैसे के भी तो काम नहीं चल सकता था। उसे कौन कमाता ?तेरे पापा की मौत के बाद बिजनिस भी तो मैने ही सम्भाला था।
"हाँ माँ आपने पैसे देकर ट्यूटर तो लगवा दी पर उसने भी अपनी ड्यूटी ही पूरी की। जब मैं स्कूल से वापस आता तो अपने हाथों से खाना खिलाने वाला कौन होता था माँ? केवल राधा आन्टी ही थी। जिनकी गोद में मुझे सुकून मिलता था। जब भी मुझे आपकी जरूरत होती, जब भी मैं कभी डर कर आपकी गोद में छुप जाना चाहता था तब आप कहां होती थी मेरे पास माँ, बस आपके लाए हुए वो महंगे खिलौने, गेमस्, गैजेटस् ही तो आते थे मेरे हिस्से। "
"यह सब मेरी मजबूरी थी मै और करती भी क्या? क्यौकि मुझे उस समय पैसा भी कमाना था बिना पैसे के यहाँ कोई नहीं पूछता है यह तू भी समझता है।" ,रागिनी बोली।
"माँ मुझे वह दिन आज भी याद है कि एक दिन मैने आपको कुछ पूछा था तब आपने कम्प्युटर ला कर दे दिया और कहा कि नेट पर सर्च कर लो। वही तो मेरा होम वर्क कराने के काम आता था। वही मेरी दुनिया बन गया था। मेरा तो सारा परिवार ही उस डिब्बे तक सिमट गया था न। मेरा साथी, मेरा सलाहकार सब कुछ वो कंप्यूटर और इंटरनैट ही तो रहा है फिर क्या गलत किया मैंने, जो मेरा जीवनसाथी भी मैंने वहीं से चुन लिया? ये सब आपका दिया हुआ ही तो है न माँ? आपने अपनी दौलत से मुझे सबकुछ तो दिया लेकिन मेरा बचपन, मेरी मासूमियत, मेरी माँ, उनका स्नेह, लाड- प्यार सब कुछ तो आपने छीन लिया था न माँ..?" ,रोहन उलाहना देते हुए बोला।
रागिनी ये सब सुनकर एकदम सन्न थी। आज उसकी परवरिश, उसकी ममता सवालों के घेरे में थी। उसका मन अंदर ही अंदर उसे कचोट रहा था। उसने तो अपना हर फर्ज दिल से निभाया था। फिर भी वह आज खुद को ही इसका कसूरवार मान रही थी कि उसी से काम और बेटे के बीच सामंजस्य बैठाने में कोई कमी रह गई।
रागिनी के पास रोहन की इन तर्कौ का कोई जबाब नहीं था। वह केवल रोहन के लाल चेहरे को देख रही थी।
उस दिन के बाद रागिनी ने रोहन की शादी रंजना के साथ करदी और कभी भी रोहन से कुछ नहीं पूछा।
आज की प्रतियोगिता हेतु रचना।
नरेश शर्मा " पचौरी"
Gunjan Kamal
05-Aug-2023 10:41 PM
बहुत खूब
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सीताराम साहू 'निर्मल'
05-Aug-2023 05:58 PM
👏👌👍🏼
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